ये उन दिनों की बात है जब हम स्कूल मैं हुआ करते थे। आज मैं आपको उस दिन की बात बताउगा जब मैं पहेली बार अपने स्कूल के मित्रों के साथ स्कूल के बाद मिला और घूमने गया। तो ये बरसत के मौसम की बात हैं। स्कूल मैं ही हमलोगों ने विचार कर लिया था कि आज जो भी होजाये आज हमलोग मिलेंगे स्कूल के बाद भी। हमलोग के घर के बगल वाले कॉलोनी मैं एक नई पार्क बनी थीं । हमलोग वहीँ जाने वाले थे। हम चार मित्र वहाँ जाने वाले थे। सब 4 शाम के चार बजते ही मेरे घर के पास आगये थे । हल्की हल्की बारिश की बूंदे भी गिर रही थी । लेकिन सबको नज़रअंदाज़ करते हुए हमलोग घर से निकल गए। जब हमलोग अपने कॉलोनी से निकले तब अचानक से तेज बारिश होने लगी लेकिन हमलोग तब भी नहीं रुके जब हम पुलिस कॉलोनी जहाँ पार्क था उधर पहुचे तो हमें रोड कहीं भी दिख नही रही थी बस चारों तरफ पानी ही पानी दिख रहा था। भगवान भरोसे सभी की साईकल चल रहे थी। हमलोग पूरी तरह से गीले होचुके थे । सब डर भी गए थे कि आज तो घर पे जाकर बहुत ही ज्यादा डाट सुनना पड़ेगा। बहुत ज्यादा बारिश का पानी रोड पे लगा हुआ रहा और बीच बीच मैं रोड भी टूटा हुआ था । लेकिन हमलोग सही सलामत पार्क तक पहुँच गए । हमलोगों ने पहेली बार उस तरह का पार्क देखा था उस दिन । पार्क मैं बहुत कम लोग थे बारिश के करण। हमलोगों ने सोचा अब इतने गीले हो ही गए है कपड़ा हमारा खरब होही चुका है तो क्यों ना थोड़ा और कर लिया जाए। हमलोगों ने वहाँ दौरना सुरु कर दिया कभी इस झूले पर तो कभी उस पे इधर उधर कर रहे थे। थक जाने के बाद हमलोग स्विमिंग पूल के सीढ़ियों पास जाकर बैठ गए। वहाँ कुछ बड़े भैया लोग अंदर मैं तैर रहे थें । हमलोगों का भी मन होरहा था क्रिन्तु डर भी था कहीं डूब गए तो । हम लोग बातचीत कर ही रहे थे तबतक हमें से एक नए नीचे सीधी पे पैर रख दिया और वो उनबालेंसड होने लगा तब हमलोगों ने डर भूल कर उसे कैसे भी ऊपर खीच लिया । हमलोग अभी तक उसे बोलते है कि तुम हमलोग के करण ही जिन्दे हो। मैंने अभी तक किसी भी मित्र का नाम नहीं बताया । सबका नाम सही वक़्त आने पे मैं अवश्य बताऊंगा। स्विमिंग पूल से निकलते हमलोगों ने एक भैया से टाइम पूछा तो उन्होंने बोला छै बजने वाला हैं । तब तो मानो हमलोग इतने डर गए थे कि पूछो मत ।हमलोगों ने सोच लिया था घर पे जाकर बहुत दाट सुननी पड़ेगी आज लेकिन हमलोग कुछ नहीँ बोलेंगे की हमलोग कहाँ गए थे नहीं तो मार भी पर सकती हैं । हमलोग वहाँ से निकले और रोड नहीं दिख रहा था तब भी हमलोग साईकल भगा रहे थें हमलोग 10 मिनट मैं ही घर पहुँच गए जोकी आने वक़्त हमलोगों को 25 मिनट लगा था। घर पहुचने के बाद हमलोगों ने एक ही बहाना मारा की हमलोग बगल वाले फील्ड मैं क्रिकेट खेल रहे थे अचानक बारिश होने लगा तो भींग गए। सुबह जब हमलोग स्कूल मे मिले तो पता चला कि घर मैं किसी ने भी डाट नहीं सुना। हमलोग बहुत ज्यादा खुश थे और जो जो हमलोगों के साथ हुआ वो हमसभी बाकी मित्रो को बता रहे थें।
अगर हमलोग उस दिन जाने का ना सोचते तो कभी भी ऐसा अनुभव हमलोग को नहीं मिलता। हमलोगों ने मन बना लिया था कि आज जाना है तो जाना है । इस कारण ही हमलोग जा पाए अगर हमलोग कमजोर पर जाते तो बीच रास्ते से ही लौट आते और ना जाने फिर कब हमलोग वहाँ जाते। अगर आपने कुछ सोचा है तो उसे पूरा करने का एक मजबूत सोच और मन बना ले आप तब वो आप पूरा करके ही मानेंगे।
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